"चर्चा एवं वाद विवाद ही लोकतंत्र का आधारस्तम्भ है। सभी समस्याओं के निराकरण की पद्धति केवल प्रजांतांत्रिक प्रक्रियाएं ही हो सकती हैं " उपर्युक्त वक्तव्य श्री ए के चौधरी (पूर्व मुख्य सचिव , बिहार सरकार सह पूर्व अध्यक्ष , बिहार लोक सेवा आयोग सह पूर्व राज्य सूचना आयुक्त ) ने चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संसदीय वाद विवाद प्रतियोगिता के सप्तम संस्करण का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने न्यायिक शिक्षा के बढ़ते महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की विधि क्षेत्र समाज सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देता है एवं संसदीय वाद विवाद प्रतियोगिताएँ छात्रों के सर्वांगीण उन्नति में सहायक है। उन्होंने इस प्रकार के क्रियाकलापों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का अंग बनाने पर भी जोर दिया।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना द्वारा राष्ट्रीय संसदीय वाद विवाद प्रतियोगिता के सप्तम संस्करण का आयोजन दिनांक 09.10. 2015 से 11. 10. 2015 तक किया जा रहा है। इस त्रिदिवसीय बौद्धिक महाकुम्भ में भारत के 30 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से आए 170 छात्र- छात्राएं प्रतिभागिता कर रहे हैं।
प्रतियोगिता का विधिवत प्रारम्भ शुक्रवार को विश्विविद्यालय प्रांगण में हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा एस पी सिंह ने बताया की इस प्रतियोगिता का आयोजन बिहार के चुनावी महाकुम्भ के साथ होना एक सुखद सहयोग है जो इस आयोजन को एक विशिष्ट एवं सारगर्भित अर्थ देता है। उन्होंने बताया की लोकतंत्र का सार सहिष्णुता से असहमत हो सकने के अधिकार में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं जगजीवन राम संसदीय अध्ययन संस्थान के निदेशक माननीय श्री श्रीकांत जी ने अपने ओजपूर्ण सम्बोधन में वाद विवाद प्रतियोगिताओं के इतिहास एवं महत्त्व को बताते हुए बिहार चुनाव से जुड़े हुए विषयों को प्रतियोगिता में सम्मिलित करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रतियोगिता के संयोजक डा कृष्णकांत द्विवेदी ने प्रतिभगियों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का सफल संचालन रिद्धि ने किया।
प्रतियोगिता के छात्र संयोजक मानस पाण्डेय एवं यशवंत सिंह ने बताया की प्रारंभिक चरण में प्रत्येक टीम द्वारा छः विषयों पर डिबेट की जाएगी एवं इसके परिणाम के आधार पर सोलह टीमें नॉक आउट चरण में प्रवेश करेंगी।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना द्वारा राष्ट्रीय संसदीय वाद विवाद प्रतियोगिता के सप्तम संस्करण का आयोजन दिनांक 09.10. 2015 से 11. 10. 2015 तक किया जा रहा है। इस त्रिदिवसीय बौद्धिक महाकुम्भ में भारत के 30 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से आए 170 छात्र- छात्राएं प्रतिभागिता कर रहे हैं।
प्रतियोगिता का विधिवत प्रारम्भ शुक्रवार को विश्विविद्यालय प्रांगण में हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा एस पी सिंह ने बताया की इस प्रतियोगिता का आयोजन बिहार के चुनावी महाकुम्भ के साथ होना एक सुखद सहयोग है जो इस आयोजन को एक विशिष्ट एवं सारगर्भित अर्थ देता है। उन्होंने बताया की लोकतंत्र का सार सहिष्णुता से असहमत हो सकने के अधिकार में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं जगजीवन राम संसदीय अध्ययन संस्थान के निदेशक माननीय श्री श्रीकांत जी ने अपने ओजपूर्ण सम्बोधन में वाद विवाद प्रतियोगिताओं के इतिहास एवं महत्त्व को बताते हुए बिहार चुनाव से जुड़े हुए विषयों को प्रतियोगिता में सम्मिलित करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रतियोगिता के संयोजक डा कृष्णकांत द्विवेदी ने प्रतिभगियों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का सफल संचालन रिद्धि ने किया।
प्रतियोगिता के छात्र संयोजक मानस पाण्डेय एवं यशवंत सिंह ने बताया की प्रारंभिक चरण में प्रत्येक टीम द्वारा छः विषयों पर डिबेट की जाएगी एवं इसके परिणाम के आधार पर सोलह टीमें नॉक आउट चरण में प्रवेश करेंगी।